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पतंजलि ने कहा- 67 अखबारों में माफीनामा छपवाया: कोर्ट ने पूछा- साइज विज्ञापन जैसा है क्या, कटिंग भेजिए; माइक्रोस्कोप से तो नहीं पढ़ना पड़ेगा

पतंजलि ने कहा- 67 अखबारों में माफीनामा छपवाया:  कोर्ट ने पूछा- साइज विज्ञापन जैसा है क्या, कटिंग भेजिए; माइक्रोस्कोप से तो नहीं पढ़ना पड़ेगा

 

बाबा रामदेव और बालकृष्ण चौथी बार कोर्ट के सामने पेश हुए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजति के 2022 के एक विज्ञापन में एलोपैथी पर गलतफहमी फैलाने का आरोप लगाया था।

पतंजलि विज्ञापन केस में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच में पतंजलि की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा- हमने माफीनामा फाइल कर दिया है। इसे 67 अखबारों में पब्लिश किया गया है।

 

इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा- आपके विज्ञापन जैसे रहते थे, इस ऐड का भी साइज वही था? कृपया इन विज्ञापनों की कटिंग ले लें और हमें भेज दें। इन्हें बड़ा करने की जरूरत नहीं है। हम इसका वास्तविक साइज देखना चाहते हैं। ये हमारा निर्देश है।

जस्टिस कोहली ने कहा कि जब आप कोई विज्ञापन प्रकाशित करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे माइक्रोस्कोप से देखेंगे। सिर्फ पन्ने पर न हो, पढ़ा भी जाना चाहिए।

कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को निर्देश दिया कि अगले दो दिन में वे ऑन रिकॉर्ड माफीनामा जारी करें, जिसमें लिखा हो कि उन्होंने गलती की। मामले की अगली सुनवाई अब 30 अप्रैल को होगी।

पतंजलि ने कहा- भविष्य में कभी ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे
पतंजलि आयुर्वेद ने सोमवार (22 अप्रैल) को कुछ न्यूज पेपर्स में माफीनामा प्रकाशित किया है। इसमें कहा कि पतंजलि आयुर्वेद सुप्रीम कोर्ट का पूरा सम्मान करता है। सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकीलों ने हलफनामा पेश किया, उसके बाद हमने विज्ञापन प्रकाशित किया और प्रेस कॉन्फ्रेंस की। हम इसके लिए माफी मांगते हैं। भविष्य में कभी ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे।

सुप्रीम कोर्ट की तीन महत्वपूर्ण बातें…

1. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- एलोपैथी के डॉक्टर भी मरीजों को महंगी और अनावश्यक दवाएं लिखते हैं। सवाल IMA पर भी उठता है। आप भी अपना रुख साफ करें।

2. FMCG कंपनियां शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रोडक्ट्स के विज्ञापन प्रकाशित करके जनता को धोखा दे रही हैं। अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा।

3. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पिछले 3 साल में भ्रामक विज्ञापनों पर उनके द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा- हम बच्चों, शिशुओं, महिलाओं को देख रहे हैं और किसी को भी भ्रमित नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार को भी आंखें खोलनी होंगी।

पिछली 5 सुनवाई में क्या हुआ…

16 अप्रैल: पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में फिर माफी मांगी, बाबा रामदेव बोले- काम के उत्साह में ऐसा हो गया

10 अप्रैल: रामदेव-बालकृष्ण का माफीनामा खारिज, कोर्ट ने कहा- जानबूझकर आदेश की अवमानना की

02 अप्रैल: रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी, अदालत ने कहा- सरकार ने आंखें क्यों मूंदे रखीं

19 मार्च: पतंजलि विज्ञापन केस में सुप्रीम कोर्ट बोला- रामदेव हाजिर हों,अवमानना का केस क्यों न लगे

27 फरवरी: पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट का कंटेंप्ट नोटिस, बीमारी ठीक करने का दावा करने वाले विज्ञापनों पर रोक

भास्कर के कार्टूनिस्ट हाडा की नजर में पतंजलि विज्ञापन केस…

कोर्ट रूम LIVE

जस्टिस हिमा कोहली: कृपया इन विज्ञापनों की कटिंग ले लें और हमें भेज दें। इन्हें बड़ा करने की जरूरत नहीं है। हम इसका वास्तविक साइज देखना चाहते हैं। ये हमारा निर्देश है। जब आप कोई विज्ञापन प्रकाशित करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे माइक्रोस्कोप से देखेंगे। सिर्फ पन्ने पर न हो पढ़ा भी जाना चाहिए।

हम यह देखेंगे कि आपके विज्ञापन कैसे हैं, क्या हमें उन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ेगी।

 

0623 अप्रैल 2024

 

कोर्ट रूम LIVE

जस्टिस अमानतुल्लाह: बहुत ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति ने हमसे कहा कि हम फैसले ले रहे हैं और नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। नोटिफिकेशन नहीं आया। इसकी जगह आपने कहा कि रूल 170 के तहत एक्शन ना लिया जाए। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? ये पत्र कैसे भेजा गया। केंद्र को इसका जवाब देना होगा। तैयार रहिए।

जस्टिस हिमा कोहली: आपने इस रूल 170 का जिक्र कर साफतौर पर हमारे हाथ बांध दिए।

एएसजी केएम नटराज: हम निश्चित ही इसका जवाब देंगे।

 

06:35 AM23 अप्रैल 2024

कोर्ट रूम LIVE

सुप्रीम कोर्ट: महंगी दवाओं का सुझाव देते वक्त याचिकाकर्ता ने जब कभी भी अपनी पोजिशन का फायदा उठाया हो, उसकी बारीकी से जांच की जानी चाहिए। हम यहां किसी एक पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं हैं। ये कंज्यूमर्स और जनता के हित के लिए है। उन्हें पता होना चाहिए कि उन्हें किस तरह भ्रमित किया गया। उन्हें सच जानने का हक है और यह भी कि वे क्या कदम उठा सकते हैं।

 

06:34 AM23 अप्रैल 2024

 

सुप्रीम कोर्ट: दूसरी कंपनियां भी भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रही हैं। इन विज्ञापनों के चलते लोग दवा ले रहे हैं, बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर असर पड़ रहा है। केंद्र ने ड्रग कंट्रोलर अथॉरिटी और राज्यों को पत्र में लिखा था कि रूल 170 को हटा दिया गया है और सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि इस कानून के तहत कोई एक्शन ना लिया जाए। हमारा मानना है कि इन विज्ञापनों के अलावा हम ड्र्ग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट के उल्लंघन को लेकर कंज्यूमर अफेयर्स, इन्फर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग, आईटी मिनिस्ट्री को भी पार्टी बनाते हैं। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी जवाब देना होगा। जिन मंत्रालयों को जिक्र हमने किया है, वो हमें बताएं कि कानूनों के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए पिछले 3 साल में उन्होंने क्या कदम उठाए।

 

06:14 AM23 अप्रैल 2024

सुप्रीम कोर्ट: हम कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री, सूचना प्रसारण मंत्रालय से जवाब मांग रहे हैं। पूरे देश के लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी इस मामले में पार्टी बनाया जाए, उन्हें भी कुछ सवालों के जवाब देने होंगे। आपके वकील कह रहे हैं कि माफीनामा सिर्फ अखबारों में कल पब्लिश किया गया। ये माफीनामा सही नहीं है। ये विज्ञापन रिकॉर्ड में नहीं है। इन्हें इकट्ठा करो और दिन में याचिकाकर्ताओं को भेजिए। इसके अलावा भी विज्ञापन प्रकाशित किए जाएं, जिसमें कहा गया हो कि उनकी ओर से गलती हुई है।

 

06:06 AM23 अप्रैल 2024

जस्टिस हिमा कोहली: आपको हमें यह बताना होगा कि एडवर्टाइजिंग काउंसिल ने ऐसे विज्ञापन रोकने के लिए क्या किया। आपके सदस्य भी ऐसे प्रोडक्ट्स का प्रचार कर रहे हैं। आपके सदस्य दवाओं की सलाह दे रहे हैं। हमने जिस तरह की कवरेज देखी है, उसके बाद हम सिर्फ आपको नहीं देख रहे हैं। हम महिलाओं, बच्चों, नवजातों को भी देख रहे हैं। किसी के साथ भी धोखा नहीं किया जा सकता है। इस मसले पर केंद्र नींद से जाग जाए।

 

06:04 AM23 अप्रैल 2024

 

जस्टिस अमानतुल्लाह: क्या आप किसी कानून पर रोक लगा सकते हैं, जब यह लागू हो। ऐसे में यह सत्ता का अच्छा इस्तेमाल नही हैं। ये कानून का उल्लंघन है।

जस्टिस हिमा कोहली: आप अपना स्टैंड बदलना चाहते हैं। नियम था कि विज्ञापन आप चलाएंगे और अब आप कह रहे हैं कि इन विज्ञापनों को आपकी ओर से क्रॉस चेकिंग की जरूरत नहीं है। मिस्टर पटवालिया आपको कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री को आरोपी बनाना था। हमें लगता है कि अधिकारी मुनाफा देखने में ही बहुत व्यस्त थे।

जस्टिस अमानतुल्लाह: एक टीवी न्यूज भी होती है। जिसमें एंकर बता रहा होता है कि आज कोर्ट में क्या हुआ। साथ ही विज्ञापन भी चल रहा होता है।

जस्टिस हिमा कोहली: केंद्र ने खाली गलतियां ढूंढीं और राज्यों को बता दीं। केंद्र ने खुद क्या किया?

जस्टिस अमानतुल्लाह: केंद्र हमें बताए कि दूसरी कंपनियों को लेकर क्या कदम उठाए हैं?

 

06:03 AM23 अप्रैल 2024

सुप्रीम कोर्ट: आयुष मंत्रालय ने सभी राज्यों को रूल 170 के संबंध में पत्र भेजा था और अब आप इस रूल को वापस लेना चाहते हैं। मंत्री ने संसद में बताया था कि इस तरह के विज्ञापन को लेकर कदम उठाए गए हैं और अब आप कह रहे हैं कि रूल 170 को लागू नहीं किया गया।

 

05:55 AM23 अप्रैल 2024

वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया: इनमें से किसी एक ने मुझे अखबार की कटिंग भेजी है। इसमें इनका माफीनामा दिखाई दे रहा है।

जस्टिस हिमा कोहली: हमें पहले एप्लीकेशन देखने दीजिए। भारत सरकार की ओर से कौन है? मिस्टर नटराज प्लीज अपना कैमरा ऑन कर लीजिए।

 

05:55 AM23 अप्रैल 2024

जस्टिस हिमा कोहली: एक और याचिका है। इसमें कहा जा रहा है कि हम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पर ये शिकायत दाखिल करने के लिए 1000 करोड़ जुर्माना लगाएं। ऐसा लगता है कि ये आपकी तरफ से लगाई गई है मिस्टर रोहतगी।

मुकुल रोहतगी: मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट: हम इस एप्लीकेशन की टाइमिंग को लेकर चकित हैं। ये इंटरवेंशन की जगह इंटरलोपर (अनाधिकार प्रवेश करने वाला व्यक्ति) याचिका लग रही है। हमें यह याचिका देखने दीजिए और फिर जुर्माने पर आएंगे।

 

05:48 AM23 अप्रैल 2024

 

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कोर्ट रूम LIVE

रामदेव और पतंजलि की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी: हमने माफीनामा फाइल कर दिया है।

जस्टिस हिमा कोहली: इसे कल क्यों दाखिल किया। हम इस वक्त ये बंडल नहीं देख सकते हैं। इसे बहुत पहले भेज देना था।

जस्टिस अमानतुल्लाह: इसे पब्लिश कहां किया है?

रोहतगी: 67 अखबारों में पब्लिश किया।

जस्टिस हिमा कोहली: आपके विज्ञापन जैसे रहते थे, वही साइज था इस ऐड का भी?

रोहतगी: नहीं, इसमें बहुत पैसा खर्च होता है। लाखों रुपए खर्च होते हैं।

जस्टिस हिमा कोहली: ठीक है।

 

05:14 AM23 अप्रैल 2024

 

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के खिलाफ याचिका लगाई है

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।

  • IMA का तर्क था कि हर कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स का प्रचार करने का हक है, लेकिन पतंजलि के दावे ‘ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954’ और ‘कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019’ का सीधा उल्लंघन करते हैं।
  • IMA ने एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली (मॉडर्न सिस्टम ऑफ मेडिसिन) के बारे में फैलाई जा रहीं गलत सूचनाओं पर चिंता जताई। याचिका में कहा गया कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन एलोपैथी की निंदा करते हैं और कई बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हैं।
  • IMA ने केंद्र सरकार, ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) और सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (CCPA) से मांग की थी कि आयुष चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए एलोपैथी को अपमानित करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
  • याचिका में बाबा रामदेव के दिए कुछ विवादास्पद बयानों का भी जिक्र किया गया। मसलन, एलोपैथी को ‘बेवकूफ और दिवालिया बनाने वाला विज्ञान’ बताना, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से लोगों की मौत का दावा करना वगैरह।
  • IMA ने यह भी आरोप लगाए कि पतंजलि ने कोविड की वैक्सीन के बारे में अफवाह फैलाई, जिससे लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर डर पैदा हो गया। याचिका में ये भी कहा गया कि पतंजलि ने कोरोना के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर की तलाश कर रहे युवाओं का उपहास उड़ाया। आयुष मंत्रालय ने ASCI के साथ एक समझौता किया है, इसके बावजूद पतंजलि ने निर्देशों का उल्लंघन किया।

 

05:12 AM23 अप्रैल 2024

 

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पतंजलि ने 2 और 9 अप्रैल को भी माफी मांगी, कोर्ट ने कहा- ये सिर्फ खानापूर्ति है

बाबा रामदेव की तरफ से 2 अप्रैल को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच में माफीनामा दिया गया था। बेंच ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए कहा था कि ये माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है। आपके अंदर माफी का भाव नहीं दिख रहा। इसके बाद कोर्ट ने 10 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की थी।

10 अप्रैल की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले (9 अप्रैल को) बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने नया एफिडेविट फाइल किया। इसमें पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और ऐसा दोबारा नहीं होगा।

 

05:10 AM23 अप्रैल 2024

 

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पतंजलि पर दो आरोप

 

05:10 AM23 अप्रैल 2024

पतंजलि से जुड़े अन्य विवाद…

  • कोरोना के अलावा रामदेव बाबा कई बार योग और पतंजलि के प्रोडक्ट्स से कैंसर, एड्स और होमोसेक्सुअलिटी तक ठीक करने के दावे को लेकर विवादों में रहे हैं।
  • 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि को मेडिसिनल प्रोडक्ट गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने के लिए फटकार लगाई थी।
  • 2015 में कंपनी ने इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। इसके बाद पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस का सामना करना पड़ा था।
  • 2015 में कैन्टीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अनफिट बताया था। इसके बाद CSD ने अपने सारे स्टोर्स से आंवला जूस हटा दिया था। 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियां मिलने की शिकायत की थी।

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