कई इनवेस्टर्स और फाइनेंशियल प्लानर्स रेगुलर इनकम के लिए डिविडेंड इनवेस्टिंग पर जोर देते हैं। डिविडेंड इनवेस्टिंग का मतलब पोर्टफोलियो में ऐसी कंपनियों के शेयरों का शामिल होना है, जो अच्छा डिविडेंड देती हैं। पहले यह समझना जरूरी है कि डिविडेंड स्ट्रेटेजी किस तरह काम करती है। आपको ज्यादा डिविडेंड यील्ड वाले स्टॉक्स में निवेश करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
वैल्यूएशन को इग्नोर नहीं करें
आपको पहले स्टडी करनी चाहिए। एनालिसिस के बाद आपको स्टॉक का फेयर वैल्यू एस्टिमेट पता करना होगा। फिर उस स्टॉक को तब खरीदना है जब उसका प्राइस फेयर वैल्यू से कम पर चल रहा हो। कई बार स्टॉक की कीमत काफी गिर जाने के बाद उसकी डिविडेंड यील्ड बढ़ जाती है। यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि स्टॉक के एक्स-डिविडेंड हो जाने के बाद उसकी कीमत गिर जाती है। डिविडेंड यील्ड के कैलकुलेशन के लिए एनुअल डिविडेंड को स्टॉक के प्राइस से डिवाइड करना होता है। उदाहरण के लिए 3M India के पूरे साल का एडजस्टेड डिविडेंड प्रति शेयर 950 रुपये था। इसे स्टॉक के करेंट प्राइस से डिवाइड करने पर डिविडेंड यील्ड 3.26 फीसदी आती है, जो अट्रैक्टिव है।
बैलेंसशीट को ध्यान में रखें
प्रॉफिट रेशियो को बहुत ज्यादा अहमियत देना और डेट, इंटरेस्ट कवरेज और EBITDA पर ध्यान नहीं देना एक आम गलती है। कई साल पहले आई एक रिपोर्ट में बताया गया था की बहुत ज्यादा डिविडेंड यील्ड आम तौर पर खतरे का संकेत है। इसमें यह भी कहा गया था कि बहुत ज्यादा डिविडेंड देने वाली कई कंपनियों का रियल रिटर्न कम रहने की संभावना होती है। कैश फ्लो स्टेटमेंट से कंपनी के प्रॉफिट कमाने की क्षमता का पता चलना चाहिए।
किसी एक तरह की कंपनी के पीछे नहीं भागें
हर इनवेस्टर को अपने अकाउंट में पैसे क्रेडिट होना अच्छा लगता है। लेकिन, आपका टारगेट क्या है? स्टॉक की कीमत में इजाफा या डिविडेंड? मेरे पोर्टफोलियो में शामिल 3M India ने बहुत अच्छा रिटर्न दिया। जब मैं कई साल पहले इसे खरीद रहा था तो मुझसे पूछा गया था कि मैं यह स्टॉक क्यों खरीद रहा है, जो डिविडेंड नहीं देता है। मुझे तब कैश फ्लो की जरूरत नहीं थी और लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न चाहता था। 3M ने पिछले साल से पहले कभी डिविडेंड नहीं दिया। कई तरह की कंपनियां होती हैं। कुछ इनवेस्टर्स को काफी डिविडेंड देती है तो कुछ इतनी उदार नहीं होती हैं।
GAIL, IOL, Coal India, BPCL, ONGC, OIL और Balmer Lawrie डिविडेंड देने के लिए जाती हैं। लेकिन, अगर आप पोर्टफोलियो में आंख बंदकर ऐसे स्टॉक्स को शामिल करते हैं तो आपका पोर्टफोलियो एक तरफ झुक जाएगा।
डिविडेंड की तुलना इंटरेस्ट इनकम से नहीं करें
कई इनवेस्टर्स खासकर जो रिटायर हो रहे होते हैं वे डिविडेंड को इनकम का स्रोर्स मानते हैं। यह ठीक है, लेकिन इसे आपको इंटरेस्ट नहीं मानना चाहिए। एक फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट डिविडेंड देने वाले स्टॉक से काफी अलग होता है। कंपनी के लिए डिविडेंड देना या निवेश किया गया पैसा किसी तारीख को लौटाने की मजबूरी नहीं होती है। Addi Industries (Textile) की डिविडेंड यील्ड 2.1 फीसदी है, लेकिन कई सालों से इसने डिविडेंड नहीं दिया है।
टैक्स के पहलू को इग्नोर नहीं करें
कुछ साल पहले तक इंडिविजुअल इनवेस्टर्स को डिविडेंड पर टैक्स की चिंता करने की जरूरत नहीं थी। इनवेस्टर्स को डिविडेंड पर टैक्स नहीं चुकाना पड़ता था। कंपनी को डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स चुकाना होता था। फाइनेंस एक्ट, 2020 में DDT को हटा दिया गया। अब इनवेस्टर्स को डिविडेंड पर टैक्स चुकाना पड़ता है। इसलिए डिविडेंड देने वाले शेयरों में निवेश करने से पहले डिविडेंड पर टैक्स के असर को समझ लेना जरूरी है।
डिविडेंड को फ्री इनकम नहीं समझें
अगर आप रिटायर हो गए हैं तो यह संभवत: इनकम का स्रोत हो सकता है। अगर आप रिटायर्ट नहीं है तो आपको डिविडेंड का इस्तेमाल निवेश के लिए करना चाहिए। आप इसे इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं। अगर आपको स्टॉक की वैल्यूएशन सही लगती है तो आप उसमें निवेश बढ़ा सकते हैं।
लैरिसा फर्नांड
(लेखक पर्सनल फाइनेंस और इनवेस्टमेंट पर लिखती हैं। यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं। ये इस पब्लिकेशन के विचार को व्यक्त नहीं करते)