शेयर बाजार को अभी अगर कोई फिक्र सता रहा है तो वह है ईरान-इजरायल का टकराव। लेकिन डर का यही माहौल निवेशकों के लिए शेयर मार्केट में एंट्री करने का मौका भी दे रहा है। तो असल सवाल ये है कि निवेश का नया मौका आखिरी कहां बन रहा है। अगर आप भी ये जानना चाहते हैं तो यह वीडियो देखिए क्योंकि इसमें गोल्डीलॉक्स प्रीमियम रिसर्च के फाउंडर और चीफ स्ट्रैटेजिस्ट गौतम शाह बता रहे हैं कि इसका जवाब आपको रिलेटिव स्ट्रेंथ में मिल सकता है। गौतम शाह अपने रिसर्च से बता रहे हैं कि रिलेटिव स्ट्रेंथ पर कौन से सेक्टर और स्टॉक्स बेहतर नजर आ रहे हैं।
गौतम शाह का कहना है कि पहले दो-तीन साल में एकबार जियोपोलिटिक टेंशन देखने को मिलता था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अब हर 6 महीने में एकबार जियोपॉलिटकल टेंशन बढ़ ही जाता है। इससे पता चलता है कि शेयर मार्केट के लिए मुश्किलें कितनी बढ़ गई हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जियोपॉलिटिकल टेंशन और ग्लोबल मार्केट पर प्रेशर के बावजूद इंडियन मार्केट टिका हुआ है। और इसकी वजह है लिक्विडिटी। पिछले तीन-चार महीनों से भारतीय बाजार सिर्फ लिक्विडिटी की वजह से ही संभला हुआ है। अगर हमारे भारतीय शेयर बाजार में इतनी लिक्विडिटी नहीं होती तो अब तक मार्केट क्रैश कर चुका होता वैसे पिछले दो हफ्तों से शेयर बाजार में जो चल रहा है उससे टेंशन एकबार फिर बढ़ ही रहा है।
शॉर्ट टर्म में बाजार का नजरिया क्या होगा?
अब फिलहाल रिटेल इनवेस्टर्स के मन में बस एक ही सवाल है कि शॉर्ट टर्म में बाजार का नजरिया क्या है। इसका जवाब देते हुए शाह कहते हैं कि जियोपोलिटिकल हालात काफी खराब हो चुके हैं। ऐसे में अगर आपका नजरिया मीडिय टू लॉन्ग टर्म का है तब तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन शॉर्ट टर्म के लिहाज से आपको सावधानी बरतनी होगी। क्योंकि बाजार का शॉर्ट टर्म नजरिया कमजोर दिख रहा है। मुमकिन है कि शेयर मार्केट मौजूदा लेवल से 4-5 फीसदी तक टूट जाए। लेकिन इसके बाद बाजार में एकबार फिर स्टेबिलिटी आएगी। शॉर्ट टर्म में निफ्टी 21000 तक गिर कर आ सकता है। ऐसे में शॉर्ट टर्म में पोजीशनल ट्रेडर्स को कोई एग्रेसिव पोजीशन नहीं लेना चाहिए।
क्या Bank Nifty में कोई बड़ा अपट्रेंड आएगा?
ट्रेडर्स के मन में जो दूसरा सवाल है, वो ये है कि क्या Bank Nifty में यहां से कोई बड़ा मूव आएगा। इस पर गौतम शाह बताते हैं कि बैंक निफ्टी में फिलहाल अभी कोई बड़ा मूव नहीं आएगा। इसका चार्ट भी खराब है। फिलहाल HDFC Bank से भी कोई बड़ी उम्मीद नहीं हैं। अगर आपको कोई बैंकिंग स्टॉक चुनना ही है तो SBI पर भरोसा कर सकते हैं। SBI में एक स्ट्रक्चरल अपट्रेंड साफ नजर आ रहा है। खराब बाजार में भी SBI के शेयरों में गिरावट का खतरा कमा है। जबकि HDFC Bank के शेयर नीचे 1400 और ऊपर में 1600-1650 रुपए के रेंज में फंसा हुआ है। आगे भी कुछ महीने यह इसी दायरे में घूमता रहेगा।
मेटल सेक्टर में निवेश करना चाहिए या नहीं
निवेशकों का तीसरा सवाल हो सकता है कि मेटल शेयरों पर आगे कितना भरोसा किया जा सकता है। मेटल शेयरों को लेकर शाह का नजरिया बुलिश है। शाह के मुताबिक, अगर 3, 6 या 8 महीने का नजरिया हो तो मेटल शेयर में बने रहना फायदे का सौदा होगा। यहां साफ तौर पर एक स्ट्रक्चरल अपट्रेंड नजर आ रहा है। मौजूदा लेवल से मेटल इंडेक्स में 15 फीसदी तक की तेजी आ सकती है। वहीं निफ्टी मेटल इंडेक्स भी अगले कुछ महीनों में 9600 का लेवल टच कर सकता है।
गौतम शाह ने अंत में रिलायंस के शेयरों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि RIL के स्टॉक्स फिलहाल कंसोलीडेशन फेज में है। मीडियम से लॉन्ग टर्म के लिए RIL का आउटलुक शानदार नजर आ रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि रिलायंस के शेयर एकबार फिर 3000 का लेवल पार कर सकते हैं। लिहाजा जब भी गिरावट आए रिलायंस के शेयरों में खरीदारी करने की सलाह है।