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गोल्ड में तेजी पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स बेचे हैं? जानिए मुनाफे पर कैसे होगा टैक्स का कैलकुलेशन

Moneycontrol - Hindi Business News

गोल्ड की कीमतों में उछाल से सोने से जुड़े फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की चमक भी बढ़ी है। इनमें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भी शामिल है। कई स्टॉक ब्रोकर्स ने मनीकंट्रोल को बताया है कि अगस्त और सितंबर 2024 सीरीज के एसजीबी को बेचने के लिए बिड्स की संख्या बढ़ी है। इसकी वजह है सोने में आई जबर्दस्त तेजी। सोने के भाव 14 अप्रैल को 72,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गए थे। 15 अप्रैल को एनएसई में 22.43 करोड़ रुपये मूल्य के एसजीबी के सौदे हुए।

मैच्योरिटी से पहले बेचने का है विकल्प

एसजीबी आपको गोल्ड में निवेश करने का मौका देता है। इसमें आपको फिजिकल गोल्ड सुरक्षित रखने का टेंशन भी नहीं होता है। हालांकि, एसजीबी 8 साल में मैच्योर होते हैं। लेकिन, इन्हें उससे पहले बेचने का विकल्प होता है। बॉन्ड्स जारी होने की तारीख से पांच साल बीत जाने के बाद उन्हें बेचा जा सकता है।

पांच साल से पहले बेच सकते हैं

एसजीबी यूनिट्स डीमैटेरिलाइज्ड फॉर्म में होने पर आप उसे स्टॉक मार्केट में पांच साल से पहले भी बेच सकते हैं। अगर आप अपने एसजीबी यूनिट्स को एक्सचेंज पर बेचना चाहते हैं या 8 साल पुराने एसजीबी2016 सीरीज 2 बॉन्ड्स के रिडेम्प्शन से पैसे मिले हैं आपको इससे जुड़े टैक्स के नियमों को समझ लेना जरूरी है। इसकी वजह यह है कि इंडिविजुअल को पैसे के पेमेंट से पहले RBI उस पर टैक्स नहीं काटता है। लेकिन, रिटर्न फाइलिंग के वक्त आपको टैक्स चुकाना जरूरी है।

टैक्स के नियम को दो तरह से समझें

एसजीबी पर टैक्स के नियमों को समझने के लिए हमें दो स्थितियों को समझना होगा। मान लीजिए आपने 2016 सीरीज बॉन्ड्स में 2.92 लाख (100 यूनिट्स) रुपये निवेश किया था। आपने इसे रिडेम्प्शन के लिए RBI को दिया। आपको 7.24 लाख रुपये रिडेम्प्शन से मिलेंगे। इसमें 6.6 लाख रुपये गोल्ड की वैल्यू के होंगे। बाकी 64,152 रुपये इंटरेस्ट के होंगे।

मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट मेहुल सेठ ने कहा, “एसजीबी में इनवेस्टमेंट के नियम में यह प्रावधान है कि बॉन्ड्स मैच्योरिटी तक रखने पर इसके कैपिटल गेंस पर टैक्स नहीं लगता है। लेकिन, इंटरेस्ट आपकी कुल इनकम में जोड़ दी जाएगी। फिर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स लगेगा।” उन्होंने बताया कि चूंकि आपने एसजीबी को मैच्योरिटी तक रखा है तो आपको 6.6 लाख के कैपिटल गेंस पर टैक्स नहीं चुकाना होगा।

एसजीबी में इंटरेस्ट का पेमेंट हर छह महीनों पर होता है। इसे आपकी इनकम में जोड़ दिया जाता है। इसलिए अगर आप 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो आपको एसजीबी के इंटरेस्ट अमाउंट पर भी 30 फीसदी टैक्स चुकाना होगा।

एक्सचेंज में बेचने पर टैक्स कैसे लगेगा?

श्यामलाल कुरियन ने सीजीबी सीरीज 1 2017-18 में 100 यूनिट्स खरीदी थी। उन्होंने मैच्योरिटी से दो साल पहले इसे बेचने का फैसला किया। इससे मिलने वाले पैसे से उन्होंने मलयालम के नए साल विशु पर गोल्ड ज्वैलरी खरीदने का फैसला किया। 15 अप्रैल को उन्होंने एसजीबी में अपने 2.95 लाख रुपये के निवेश को एनएसई में 7.24 लाख रुपये में बेच दिया। उन्होंने प्रति यूनिट 7,239 रुपये के रेट पर यह बिक्री की। लेकिन, चूंकि उन्होंने एसजीबी को मैच्योरिटी तक नहीं रखा था, जिससे उनके कैपिटल गेंस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगेगा।

सेठ ने कहा, “उन्होंने बॉन्ड्स तीन साल तक रखने के बाद बेचे हैं। इसलिए उन्हें कैपिटल गेंस पर 10 फीसदी टैक्स देना होगा। दूसरा विकल्प इंडेक्सेशन का है। इसमें इंडेक्सेशन के बाद उन्हें 20 फीसदी टैक्स देना होगा।” इस तरह कुरियन को 10 फीसदी कैपिटल गेंस टैक्स के हिसाब से 42880 रुपये का टैक्स देना होगा। यह उन्हें एसजीबी पर इंटरेस्ट के रूप में मिले 44,265 रुपये से थोड़ा ही कम है।

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