इंटरनेशनल मार्केट में पाम की कीमतों में गिरावट आई। पाम ऑयल 8 महीने के निचले स्तरों पर दाम आए। मलेशिया में 3730 /टन के नीचे भाव फिसले। इन्वेंटरी बढ़ने से भी कीमतों पर दबाव पड़ा है जबकि 1-25 अप्रैल से एक्सपोर्ट करीब 15% बढ़ा है। मई और जून के लिए चीन का इंपोर्ट भी बढ़ा है।
बता दें कि गर्मियों में मांग बढ़ने से पहले चीन का इंपोर्ट बढ़ा है। मार्च और अप्रैल में भारत का इंपोर्ट 24% गिरा है। लगातार 5वें महीने भारत का इंपोर्ट घटा है। दाम कम होने से भारत में सोयाबीन का इंपोर्ट बढ़ा है। बाजार को मलेशिया का स्टॉक बढ़ने की उम्मीद है।
पाम ऑयल की चाल पर नजर डालें तो 1 हफ्ते में इसमें 1 फीसदी की गिरावट आई है जबकि 1 महीने में यह 8 फीसदी लुढ़का है। वहीं जनवरी 2025 से अब तक पाम ऑयल की कीमतों में 13 फीसदी का दबाव देखने को मिला।
कांडला, मुंद्रा पोर्ट के ब्लैकआउट का कारोबार पर असर नहीं
एस.डी. गुथरी के संदीप भान का कहना है कि रमजान के बाद प्रोडक्शन में बढ़ोतरी देखने को मिली। डिमांड नहीं आने के कारण पाम की कीमतों पर असर देखने को मिला। पाम के दाम 47000 रिंग्गित तक पहुंचने के बाद गिर रहे हैं।पाम 4700 रिंग्गित तक पहुंचने के बाद अब 3700 रिंग्गित के आस पास कारोबार कर रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि सोमवार को मलेशिया पाम एसोसिएश की रिपोर्ट आएगी। पाम ऑयल के डिस्काउंट पर आने के बाद अब इसमें थोड़ी -थोड़ी बाईंग आने लगी है। 3800 रिंग्गित तक पाम का भाव फिर पहुंच सकता है। इसके 3500 रिंग्गित के नीचे भाव जाने की आशंका कम है। मांग गिरने पर पाम के दाम और गिर सकते है।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 2-3 हफ्ते से भारत लगातार पाम खरीद रहा है। भारत की 6 मिलियन टन पाम ऑयल खरीद की उम्मीद है। संदीप भान ने कहा कि कांडला, मुंद्रा पोर्ट के ब्लैकआउट का कारोबार पर असर नहीं है। पाम के दाम चढ़ने पर दूसरे तेलों की मांग बढ़ी थी। उन्होंने आगे कहा कि भारत की मांग नहीं बढ़ी तो कीमतों में और गिरावट आएगी। दूसरे ग्लोबल डेस्टिनेशन देशों में इन्वेंटरी कमजोर है।
