Gensol Engineering Shares: जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों का गिरना गुरुवार 8 मई को भी जारी रहा। कारोबार शुरू होते ही कंपनी के शेयरों में 5 फीसदी का लोअर सर्किट लगा और यह लुढ़ककर 60.45 रुपये के भाव पर पहुंच गया। यह इसके साथ ही यह लगातार 20वां दिन है, जब कंपनी के शेयरों ने अपनी लोअर सर्किट सीमा को छुआ है। गुरुवार की गिरावट सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के उस फैसले के बाद आई है, जिसमें कंपनी को उसके खिलाफ चल रही जांच के मामले में कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार किया गया है। बता दें कि जेनसोल इंजीनियरिंग कथित फंड डायवर्जन के मामले में जांच के दायरे में है।
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इस फंड डायवर्जन मामले में 15 अप्रैल को कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में जेनसोल इंजीनियिरंग और उसके प्रमोटरोंको सिक्योरिटी मार्केट से बैन कर दिया था। SEBI ने कंपनी पर गंभीर चूक का आरोप लगाया है, जिसमें फंड डायवर्जन, फर्जी डॉक्यूमेंट पेश करना और निवेशकों के फंड का दुरुपयोग शामिल है।
कंपनी ने सेबी के इस आदेश को SAT में चुनौती दी, लेकिन बुधवार को SAT ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। जेनसोल इंजीनियरिंग ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि सेबी ने कंपनी का सुनवाई का मौका दिए बिना ही आदेश जारी किया, जिससे कंपनी की कारोबारी गतिविधियों में गंभीर रुकावटें पैदा हो गई है।
कंपनी ने दावा किया कि उसके डीमैट खाते पर लगाई गई रोक और फॉरेंसिक ऑडिट कराए जाने के फैसले के चलते उसके कई कॉन्ट्रैक्ट्स रद्द हो गए हैं। साथ ही उसके सपंत्तियों के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) में बदल जाने का जोखिम बढ़ गया है।
SAT ने जवाब के लिए समयसीमा जारी की
ट्राइब्यूनल ने अब जेनसोल को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और SEBI को सुनवाई के बाद चार सप्ताह के भीतर अंतिम आदेश देने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान, जेनसोल ने फॉरेंसिक ऑडिट से राहत की भी अपील की और अपने डीमैट खातों पर लगी रोक को हटाने की भी मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) से लिए गए 978 करोड़ रुपये के टर्म लोन से जुड़ा है। जेनसोल इंजीनियरिंग ने यह टर्म लोन 6,400 इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को खरीदने के लिया था, जिन्हें ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी को लीज पर दिया जाना था। हालांकि कंपनी ने इसमें से 567 करोड़ रुपये खर्च करके केवल 4,700 ईवी ही खरीदे। बाकी 262 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं हो पाया। SEBI का आरोप है कि कंपनी ने बाकी धनराशि को डायवर्ट करके उसका इस्तेमाल लग्जरी रियल एस्टेट खरीदने और प्रमोटरों से जुड़ी संस्थाओं को ट्रांसफर करने में किया।
ऑलटाइम हाई से 97.5% गिरा शेयर
जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों में पिछले एक महीने में 59 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है। वहीं इस साल की शुरुआत से यह शेयर अब तक करीब 92.26 फीसदी टूटा चुका है। जबकि इसके ऑल टाइम हाई से शेयर का भाव 97.5 फीसदी तक क्रैश हो चुका है।
