ऑनलाइन ऑर्डर पर खाना और रोजमर्रा के सामान पहुंचाने वाली कंपनी इटर्नल (पूर्व में जोमैटो) का बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में शुद्ध लाभ 77.7 फीसदी कम होकर 39 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले की इसी तिमाही में कंपनी का शुद्ध 175 करोड़ रुपये था। एक तिमाही पहले के 59 करोड़ रुपये मुकाबले कंपनी के मुनाफे में 33.8 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि, समीक्षाधीन तिमाही के दौरान कंपनी की आय एक साल पहले के मुकाबले 63.7 फीसदी बढ़कर 5स833 करोड़ रुपये रही। वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में कंपनी की आय 3,562 करोड़ रुपये थी।
समीक्षाधीन अवधि में ऑनलाइन ऑर्डर पर खाना पहुंचाने वाले कारोबार जोमैटो का समायोजित राजस्व एक साल पहले के 2,050 करोड़ रुपये से 17 फीसदी बढ़कर 2,413 करोड़ रुपये हो गया। मगर एक तिमाही पहले के मुकाबले आय में 0.2 फीसदी की गिरावट आई। वहीं, बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी के क्विक कॉमर्स कारोबार ब्लिंकइट का राजस्व 1,709 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले की चौथी तिमाही के 769 करोड़ रुपये के मुकाबले 12.2 फीसदी अधिक है।
इटर्नल के गोइंग आउट कारोबार का राजस्व बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 146.2 फीसदी बढ़ गया। यह वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में 93 करोड़ रुपये लंबी छलांग लगाते हुए वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही 229 करोड़ रुपये हो गया।
क्विक और एवरीडे सेवा बंद
ऑनलाइन ऑर्डर पर खाना पहुंचाने वाली इटर्नल (पूर्व में जोमैटो) ने कहा कि मुनाफा नहीं होने के कारण उसने अपनी इंस्टेंट फूड-डिलिवरी सेवा ‘क्विक’ को बंद कर दिया है। यह सेवा जोमैटो के ऐप्लिकेशन पर मिलती थी। इसके अलावा, गुरुवार को बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए अपने वित्तीय नतीजे जारी करने के दौरान कंपनी ने कहा कि उसने सिर्फ चौथी तिमाही में करीब 19,000 रेस्तरां को सूची से बाहर निकाला है।
इटर्नल के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी दीपिंदर गोयल ने कहा, ‘हम वास्तव में इन दोनों पहल (जोमैटो क्विक और एवरीडे) को बंद कर रहे हैं क्योंकि हम ग्राहक अनुभव से समझौता किए बिना इनमें लाभप्रदता का रास्ता नहीं देख रहे हैं। फिलहाल रेस्तरां और रसोई का बुनियादी ढांचा 10 मिनट में ऑर्डर देने के लिए तैयार नहीं है, जिससे ग्राहकों को पूरी तरह सेवा नहीं मिल पाती है। नतीजतन, हमने कुछ महीनों के लिए प्रायोगिक तौर पर क्विक चलाने के दौरान मांग में कोई खास वृद्धि नहीं दर्ज की।’ जोमैटो एवरीडे के लिए गोयल ने कहा कि घर पर बने खाने की जरूरत काफी अधिक है और यह खास तौर पर महानगरों में स्थित दफ्तरों के लिए होती है।
गोयल ने कहा कि इसे छोटे पैमाने पर चलाने से हमें निवेश पर पर्याप्त रिटर्न नहीं मिला। उन्होंने बताया कि जिन रेस्तरां को सूची से हटाया गया है वे या तो स्वच्छता मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे, या फिर स्थापित ब्रांडों की नकल कर रहे थे और ग्राहकों को गुमराह कर रहे थे।
